Saturday , April 20 2024
Home / MainSlide / भाजपा पर राष्ट्रपति के पद को भी जाति के बंधन में बांधने का आरोप

भाजपा पर राष्ट्रपति के पद को भी जाति के बंधन में बांधने का आरोप

रायपुर 14 जुलाई।कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव राजेश तिवारी ने भारतीय जनता पार्टी पर राष्ट्रपति के पद को भी जाति के बंधन में बांधने की कोशिश करने का आरोप लगाया हैं।

श्री तिवारी ने आज यहां कुछ पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत वन भूमि के अन्यत्र उपयोग के लिए किसी मंजूरी पर तब तक विचार नही किया जायेगा जब तक वन अधिकार अधिनियम 2006 के अन्तर्गत प्रदत अधिकारों का सर्वप्रथम निपटान नही कर लिया जाता हैं।क्या एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार इससे सहमत है,और वह यह सुनिश्चित करेंगी कि इसका पालन हो।

उन्होने कहा कि हाल ही मोदी सरकार ने केन्द्र सरकार द्वारा अन्तिम रूप से वन मंजूरी मिलने के बाद वन अधिकारों के निपटारे की अनुमति दे दी है।जाहिर तौर पर यह पावधान कुळ लोगो को लाभ पहुंचाने की नियत से किया गया है।यह निर्णय उस बड़े जन समुदाय के लिए जीवन की सुगमता समाप्त कर देंगा जो अपनी आजीविका के लिए वन भूमि पर निर्भर है।इससे वन भूमि के अऩ्यत्र उपयोग का प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए राज्य सरकारों पर केन्द्र की ओर से और अधिक दबाव होगा,क्या एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार क्या इसका विरोध करेंगी।

केन्द्र द्वारा भारतीय वन अधिनियम 2027 के जारी मसौदे का उल्लेख करते हुए श्री तिवारी ने कहा कि इस प्रस्तावित कानून के तहत जंगल से लकड़ी,घास या मिट्टी लाना,जंगल में पालतू जानवर चराना सभी वन अपराध है।इसमें जुर्माने की राशि भी बढ़ाकर 500 की बजाय 10 हजार रूपए करने का प्रावधान है।यह वन अधिकारियों के अधिकारों में इजाफा करता है तथा वनवासियों के हितों को कमजोर करता है।इसमें रेंजर से ऊपर के वन अधिकारियों को अर्ध न्यायिक शक्तियां दिए जाने की व्यवस्था हैं।क्या आदिवासियों पर गोली तक चलाने के लिए मिलने वाले अधिकारों से एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार सुश्री द्रोपदी मुर्मु सहमत है।

श्री तिवारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 15 वर्षों तक भाजपा की सरकार थी लेकिन पेसा का नियम नही बनाया,जबकि भूपेश सरकार ने पेसा का नियम बना दिया.सुश्री मुर्मु को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वह पेसा कानून का समर्थन करती हैं या नही।उन्होने कहा कि भाजपा की रमन सरकार ने राज्य में वनाधिकार कानून के तहत चार लाख से ज्यादा दावे खारिज कर दिए,और उनके शासनकाल में सर्वाधिक आदिवासियों की हत्याएं हुई और राज्य के आदिवासी दूसरे राज्यों में शऱण लेने को बाध्य हुए।

उन्होने कहा कि सिर्फ किसी जाति विशेष का होने से उस जाति का भला नही होता बल्कि उस वर्ग के प्रति सोच एवं उनके विकास के लिए बनने वाली योजनाएं एवं उनका क्रियान्वयन करने वाला व्यक्ति चाहिए।भाजपा हमेशा धर्म एवं जाति की राजनीति करती है यह एक बाऱ फिर साबित हो गया हैं।राष्ट्रपति के पद को भी सिर्फ एक जाति के बंधन में बांध दिया गया हैं।