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आरक्षण के बारे में उच्चतम न्यायालय के हाल के निर्णय का सरकार करेंगी अध्ययन

नई दिल्ली 10 फरवरी।मोदी सरकार ने कहा है कि वह अनुसूचित जातियों और जनजातियों के आरक्षण के बारे में उच्‍चतम न्‍यायालय के हाल के निर्णय का अध्ययन करने के बाद उचित कदम उठाएगी। शीर्ष न्‍यायालय ने अपने निर्णय में कहा है कि नौकरियों तथा पदोन्‍नति में आरक्षण मूल अधिकार नहीं है।

सामाजिक न्‍याय मंत्री थावर चंद गहलोत ने आज राज्‍यसभा में इस बारे में बयान देते हुए कहा कि केन्‍द्र सरकार इस मामले में न तो कोई पार्टी थी और न ही उसने कोई शपथ पत्र दाखिल किया है।उन्‍होंने कहा कि एनडीए सरकार अनुसूचित जातियों और जनजातियों तथा अन्‍य पिछड़ा वर्गों के कल्‍याण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्‍होंने कहा कि शीर्ष न्‍यायालय का निर्णय 2012 में उत्‍तराखंड में तत्‍कालीन कांग्रेस सरकार के आदेश पर आधारित है।

दलगत भावना से उपर उठकर विपक्षी सदस्‍यों ने शीर्ष न्‍यायालय के निर्णय पर मांग की कि सरकार अनुसूचित जातियों और जनजातियों के हितों के संरक्षण के लिए तत्‍काल आवश्‍यक कदम उठाए।

विपक्ष के नेता गुलाब नबी आजाद ने कहा कि यह मामला बहुत ही गंभीर है, इसलिए मामले की समीक्षा के लिए सरकार को शीघ्र उच्‍चतम न्‍यायालय में अपील करनी चाहिए।सरकार के बयान पर असंतोष व्‍यक्‍त करते हुए कांग्रेस, एसपी, बीएसपी, टीएमसी, डीएमके, वामदलों, एनसीपी और अन्‍य दलों के सदस्‍यों ने सदन से वाकआउट किया।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण के बारे में उच्‍चतम न्‍यायालय के हाल ही के फैसले के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी की आलोचना की है।

कांग्रेस और डीएमके सहित विपक्षी सदस्‍यों ने आज लोकसभा में भोजनावकाश के बाद पदोन्‍नति में आरक्षण के बारे में उच्‍चतम न्‍यायालय की टिप्‍पणी पर सामाजिक न्‍याय तथा अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत के बयान पर असंतोष व्‍यक्‍त करते हुए सदन से वाकआउट किया।