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म.प्र. में आम आदमी पार्टी को हल्के में न लें भाजपा और कांग्रेस – अरुण पटेल

अरूण पटेल

गुजरात और कर्नाटक के चुनाव नतीजों में राजनीतिक दलों केलिए यह संकेत छिपा है कि कभी भी किसी भी दल को चाहे वह कितना भी छोटा हो हल्के में नहीं लेना चाहिये और न हीजीत के प्रति आत्मविश्‍वास से भरकर अति उत्साहित होना चाहिए। गुजरात में यदि भाजपा 100 का आंकड़ा पार नहींकर पाई और कर्नाटक में स्पष्ट बहुमत नहीं ला पाई तो इसकामतलब साफ है कि किसी भी चुनावी लड़ाई को किसी को भीआसान नहीं समझना चाहिए। गुजरात में यदि कांग्रेस, बहुजनसमाज पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से समझौता कर लेतीतो वहां के नतीजे कुछ और हो सकते थे। इसी प्रकार कर्नाटकमें कांग्रेस अपनी जीत के प्रति आत्ममुग्ध नहीं होती औरबसपा- जनतादल-एस से  तालमेल कर लेती तो कुछ अलगनतीजे होते। भाजपा को भी इन नतीजों से यह सीख लेनाचाहिए कि अकेले नरेंद्र मोदी के चेहरे और अमित शाह केसंगठन कौशल के चलते कभी-कभी भी वह जीत के काफी पासआकर भी ठहर सकती है। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव अबकाफी नजदीक आ गया है और बसपा, सपा, गोंडवानागणतंत्र पार्टी आदि कुछ छोटे दलों को मिलाकर कांग्रेस चुनावलड़ने के मंसूबे पाल रही है। अरविन्द केजरीवाल की आमआदमी पार्टी ने प्रदेश में अंदर ही अंदर अपनी जमावट कर लीहै। वह भी चुनाव नतीजों को प्रभावित कर सकती है बशर्ते किउसने जो जमीनी जमावट की है वह कारगर साबित हो औरउसकी बातों पर मतदाता यकीन करें। भाजपा एवं कांग्रेस केलिए सचेत होना इसलिए जरूरी है क्योंकि ‘आप’ दोनों कीघेराबंदी करते हुए वह यह बताने की कोशिश कर रही है किमुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षकमलनाथ में कोई अन्तर नहीं है तथा दोनों एक जैसे ही हैंइसलिए दोनों का असली विकल्प ‘आप’ ही होगी।

जहां तक आम आदमी पार्टी का सवाल है उसके प्रदेश अध्यक्षआलोक अग्रवाल ने पूरे प्रदेश में संगठन का ढांचा खड़ा करलिया है और आने वाले दो माह में हर मतदान केंद्र पर पार्टीकार्यकर्ताओं की कमेटी बन जायेगी। इस समय किसान चुनावकी दृष्टि से सबसे अहम् हो गया है और सत्ता का रास्ताकिसानों के बीच से होकर गुजरेगा। प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 150 सीटों पर किसान प्रभावी स्थितिमें हैं और विधानसभा के 156 विधायकों ने अपना पैतृकव्यवसाय खेती-किसानी बताया है। एक तरफ शिवराजभावान्तर योजना और किसानों को अन्य सुविधाएं देकरउनका दिल फिर से जीतने की कोशिश कर रहे हैं तो कांग्रेसभी इसे ही एक अहम् मुद्दा बना रही है। वह किसानों कीकर्जमाफी तथा उन्हें फसल का वाजिब दाम दिलाने कीपुरजोर मांग कर रही है। इसी बीच आम आदमी पार्टी के प्रदेशअध्यक्ष आलोक अग्रवाल 26 मई से प्रदेश के किसानों कीकर्जमाफी की मांग को लेकर राजधानी में अनिश्‍चितकालीनअनशन करने जा रहे हैं। भोपाल में अनशन करने का उनकामकसद यही है कि यहां से पूरे प्रदेश में किसानों तक अपनासंदेश पहुंचाया जाए। शिवराज सामाजिक सरोकारों औरसबका साथ सबका विकास के आधार पर चुनावी जमावटकर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस छिंदवाड़ा के विकासमॉडल को लेकर चुनाव मैदान में चुनौती देने की तैयारी कररही है। आम आदमी पार्टी दिल्ली सरकार के उस मॉडल कोसामने रखकर जनता के बीच अपनी पैठ बढ़ाना चाहती हैजिसे उसने दिल्ली में करके दिखाया है।

जहां तक मैदानी जमावट का सवाल है अग्रवाल का कहना हैकि उन्हें संगठन के स्तर पर 42 हजार मतदान केंद्र और उनमें65 हजार बूथों तक अपनी जमावट करना है। अभी तक 15 हजार मतदान केंद्रों तक पार्टी का ढांचा खड़ा हो गया है। 15 जून तक सभी 42 हजार मतदान केंद्रों तक पार्टी का ढांचाखड़ा हो जायेगा तथा जुलाई माह के मध्य तक 65 हजार बूथोंतक हमारी पहुंच होगी। 16, 17 और 18 मई को प्रदेश केसभी विधानसभा क्षेत्रों में मंडल सम्मेलनों का आयोजन होचुका है और जिनमें मतदाताओं से सीधे संपर्क किया गया है।19 से 23 मई तक हर विधानसभा क्षेत्र में मंडल स्तर पर‘मध्यप्रदेश बचाओ’ यात्रा निकाली जा रही है। उनका दावा हैकि कांग्रेस एवं भाजपा दोनों से ही प्रदेश का आम मतदातानिराश है और उसे एक विकल्प की तलाश है। यह विकल्पउन्हें ‘आप’ देगी। उनका कहना है कि दोनों पार्टियों में कोईअन्तर नहीं है और भाजपा प्लस गाय में से गाय को हटा दियाजाए तो वह कांग्रेस बन जाती है और यदि कांग्रेस में गाय जोड़दिया जाए तो वह भाजपा हो जाती है। उनका दावा है किपोहा चैपालों को लोगों का अच्छा रिस्पांस मिला है औरसमाज के विभिन्न वर्गों से सीधा संवाद भी हुआ है। किसानबचाओ यात्रा के दौरान अग्रवाल ने दस हजार किलोमीटर कीयात्रा की थी और इस यात्रा के दौरान उन्होंने प्रदेश के 51 जिलों में किसानों से सीधे संवाद किया तथा उसके बाद पार्टीने मध्यप्रदेश में किसान को लेकर अपना अभियान और तेजकरने का निर्णय किया है।

अग्रवाल का कहना है कि अनिश्‍चितकालीन अनशन केउनके जो मुख्य मुद्दे हैं उनमें किसानों की कर्जमाफी, एम.एस. स्वामीनाथन आयोग की अनुशंसा के अनुसार फसल कीलागत का डेढ़ गुना दाम किसानों को दिलाना, सूखा ओला-पाला या किसी अन्य कारण से फसल का नुकसान हो तोदिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार की तरह 50 हजाररुपया प्रति हेक्टेयर मुआवजा दिलाना और घरेलू, औद्योगिकएवं व्यावसायिक तथा खेती-किसानी में बिजली के दाम जोअभी लिए जा रहे हैं उन्हें आधा किया जाना, बकाया बिलों कोमाफ करना तथा बेरोजगारों के लिए सुनिश्‍चित रोजगार औरजब तक रोजगार न मिले तब तक 6000 रुपया महीनाबेरोजगारी भत्ता दिया जाना शामिल हैं। उनका कहना है किप्रदेश में इस समय 25 लाख शिक्षित बेरोजगार हैं औरअशिक्षित बेरोजगारों की संख्या लगभग एक करोड़ चालीसलाख है, जबकि राज्य सरकार ने 2016 में मात्र 139 और2017 में 244 लोगों को ही रोजगार दिया।

आम आदमी पार्टी अपने जिस दिल्ली मॉडल को सामनेरखकर मतदाताओं का विश्‍वास जीतना चाहती है उसमें वहयह भी मतदाताओं को बतायेगी कि तीन साल में दिल्लीसरकार ने अभूतपूर्व काम किए हैं जबकि भाजपा की 14 साल की सरकार में मध्यप्रदेश का बुरा हाल हुआ है। किसानोंके मुद्दे पर पार्टी कह रही है कि किसानों को फसलों का उचितदाम न मिलने के कारण भारी कर्ज में फंसे पांच किसान रोजआत्महत्या कर रहे हैं जबकि फसल खराब होने पर बहुत कममुआवजा दिया जाता है। इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने जोमुआवजा दिया है वह दिलाया जाएगा। दिल्ली और मध्यप्रदेशमें बिजली के दामों में जो अन्तर है उसे भी पार्टी मतदाताओंको बतायेगी कि दिल्ली में 200 यूनिट बिजली का दाम 550 रुपये है तो मध्यप्रदेश में 1327 रुपये है। 300 यूनिट बिजलीका दाम 756 रुपये और 400 यूनिट का दाम दिल्ली में 961 रुपये है जबकि मध्यप्रदेश में यह क्रमशरू 2092 और 3012 रुपये है। मध्यप्रदेश में पीने के पानी की गंभीर समस्या है,हजारों गांवों में पानी बहुत दूर से लाना पड़ता है जबकि दिल्लीमें 666 लीटर पानी प्रतिदिन प्रति परिवार मुफ्त मिलता है औरसभी मोहल्ला बस्तियों में पानी घर-घर पहुंचाया जाता है।मध्यप्रदेश में शिक्षा का आलम यह है कि 25 हजार सरकारीस्कूल बंद किए गए हैं और दसवीं में आधे बच्चे फेल हो जातेहैं जबकि दिल्ली में सरकारी स्कूलों में 14 हजार नये कमरोंका निर्माण किया गया है तथा उनका रिजल्ट 90 प्रतिशत है।यहां स्वास्थ्य सुविधायें पूरी तरह ध्वस्त हैं, सरकारी अस्पतालोंमें डाक्टर नहीं हैं, जांच व अन्य सुविधाओं का अभाव है। 79 प्रतिशत बच्चों में खून की कमी है, 46 प्रतिशत बच्चे कुपोषितहैं और 52 बच्चों की कुपोषण के कारण प्रतिदिन मौत होतीहै। जबकि इसके विपरीत दिल्ली में 250 “आप मोहल्ला क्लीनिक’’  खुली हैं और 750 और खोली जा रही हैं जिनमेंसभी इलाज, दवाइयां और जांच व ऑपरेशन मुफ्त होते हैं।यहां विधवा वृद्धावस्था व विकलांग पेंशन 300 रुपये प्रतिमाहमिलती है जबकि दिल्ली में 2500 रुपये प्रतिमाह है। जहांतक भ्रष्टाचार का सवाल है केंद्रीय सतर्कता आयोग की रिपोर्टके अनुसार दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने केबाद भ्रष्टाचार में 81 प्रतिशत की कमी आई है और लायसेंस, सभी तरह के प्रमाण-पत्र, गाड़ी रजिस्ट्रेशन जैसी सुविधायेंलोगों को घर पहुंचाई जाती हैं, जबकि मध्यप्रदेश में हर स्तरपर घूसखोरी, भ्रष्टाचार और घोटालों का राज है। व्यापमंघोटाले ने लाखों युवाओं का भविष्य खत्म कर दिया है।मध्यप्रदेश में लायसेंस, सभी प्रकार के प्रमाण-पत्र, वाहनों केपंजीयन सहित हर कार्य के लिए रिश्‍वत देना पड़ती है। देखनेकी बात यही होगी कि ‘आप’ के इन दावों पर प्रदेश की जनताकितना भरोसा करती है और उसे 2018 के विधानसभाचुनावों में कितनी सफलता मिलती है।

सम्प्रति-लेखक श्री अरूण पटेल अमृत संदेश रायपुर के कार्यकारी सम्पादक एवं भोपाल के दैनिक सुबह सबेरे के प्रबन्ध सम्पादक है।